जानिए, मानव जीवन में सबरीमाला अय्यप्पा स्वामी मंदिर की क्या है महिमा?
सबरीमाला मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में एक ज्योति दिखती है, जिसके दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है, इसके साथ शोर भी सुनाई देता है। भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे खुद जलाते हैं। इसे मकर ज्योति का नाम दिया गया है।
दक्षिण भारत के केरल में सबरीमाला में अय्यप्पा स्वामी मंदिर है। अय्यप्पा स्वामी मंदिर करोड़ों हिंदुओं की आस्था का प्रतीक है। सबरीमाला का नाम शबरी के नाम पर है, जिनका जिक्र रामायण में है। यह मंदिर 18 पहाड़ियों के बीच में बसा है। यहां एक धाम में है, जिसे सबरीमला श्रीधर्मषष्ठ मंदिर कहा जाता है।
सबरीमाला मंदिर के पास मकर संक्रांति की रात घने अंधेरे में एक ज्योति दिखती है, जिसके दर्शन के लिए दुनियाभर से करोड़ों श्रद्धालु हर साल आते हैं। बताया जाता है कि जब-जब ये रोशनी दिखती है, इसके साथ शोर भी सुनाई देता है। भक्त मानते हैं कि ये देव ज्योति है और भगवान इसे खुद जलाते हैं। इसे मकर ज्योति का नाम दिया गया है।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं का आना वर्जित है। मान्यैता ये है कि यहां जिस भगवान की पूजा होती वे ब्रह्माचारी थे, इसलिए यहां 10 से 50 साल तक की लड़कियां और महिलाएं नहीं प्रवेश कर सकतीं। इस मंदिर में ऐसी छोटी बच्चिदयां आ सकती हैं, जिनको मासिक धर्म शुरू ना हुआ हो या ऐसी बूढ़ी औरतें, जो मासिकधर्म से मुक्तस हो चुकी हों।
यहां जिन श्री अयप्पा की पूजा होती है उन्हें 'हरिहरपुत्र' कहा जाता है। यानी विष्णु और शिव के पुत्र। यहां दर्शन करने वाले भक्तोंर को दो महीने पहले से ही मांस-मछली का सेवन त्यारगना होता है। मान्येता है कि अगर भक्त तुलसी या फिर रुद्राक्ष की माला पहनकर और व्रत रखकर यहां पहुंचकर दर्शन करे, तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती है।
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