बेव सीरीज महारानी को राबड़ी से जोड़ने पर भड़कीं लालू की बेटी रोहिणी, मां की तस्वीर संग लिखी यह बात
सोनी लिव एप के नए वेब सीरीज महारानी को लेकर बिहार की सियासत गरमा गई है। एक बार फिर वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी से जोड़कर देखे जा रहे इस वेब सीरीज को लेकर बेटी रोहिणी खासी नाराज हैं।
बिहार में राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री बनने की कहानी से प्रेरित बताकर कई लोग इसका उपहास भी उड़ा रहे हैं। ऐसे में सोशल मीडिया पर खूब एक्टिव रहने वाली लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने अपनी मां राबड़ी देवी के साथ एक फोटो शेयर करके बुद्धिजीवी शब्द पर खूब वार किया है।
रोहिणी ने लिखा कि बालिकागृह कांड भी..एक धारावाहिक का हिस्सा नहीं था..बिहार के इतिहास में दर्ज हुआ काला धब्बा है। पढ़े-लिखे बुद्धिजीवी के ही द्वारा रचा गया राक्षसी कारनामा है। नोट..श्रीमती राबड़ी देवी को अनपढ़ महिला कहकर उपहास उड़ाने वाले उन बुद्धिजीवी राक्षसों का जवाब है। पढ़-लिखकर बुद्धिजीवी बनकर क्या कर लिया तुमने? मानवता को भुलाकर राक्षसी प्रवृत्ति को अपनाकर। लूट लिया बालिका गृह कांड में मासूम अबला की इज्जत तुमने..!!
रोहिणी ने एक अन्य ट्वीट में राबड़ी देवी के मुख्यमंत्री रहते किये गए कार्यों का उल्लेख किया। लिखा कि एक ऐसी महिला मुख्यमंत्री जो बिहार की पहली और इकलौती मुख्यमंत्री हैं। जो कम पढ़ी होने के बावजूद महिलाओं का दर्द समझते पीरियड के समय 2 दिनों की छुट्टी मंजूर की। जो ऐतिहासिक और विश्व में चर्चा का विषय बना। और कामकाजी महिलाओं के स्वास्थ्य-पीड़ा समझने वाली देश की पहली मुख्यमंत्री बनी।
रोहिणी ने यह भी लिखा....ना आवाज उठाने का हक था। ना अधिकार मांगने का हक था। सामंतवादियों के हाथों में, जीवन चारदीवारी में बंद था, जो गिरवी पड़ा जमीर था..!!
रोहिणी ने अपने पिता लालू यादव की उपलब्धियों को ट्वीट के जरिये साझा किया। रोहिणी ने लिखा कि स्वर्ग नहीं दे पाए तो स्वर हमने तो दिया था। आजादी के 50 साल बाद भी जिनके पास ना खेत था ना घर था, नाहीं जीवन जीने का सम्मान-जनक अधिकार था। अगर हमने उनको अधिकार दिया तो संघियों ने जंगलराज के जुमले में हमें बदनाम कर सलाखों के पीछे कैद किया..!!
नीतीश पर भी रोहिणी ने साधा निशाना
बिहार में अनाथ हुए बच्चों को हर माह 1500 रुपये दिए जाने की घोषणा पर भी रोहिणी ने सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा। रोहिणी ने ट्वीट करते हुए लिखा कि यही फुर्ती पहले दिखला जाते। ऑक्सीजन, वेंटिलेटर और हॉस्पिटल को समय रहते चुस्त-दुरुस्त कर लिया होता तो हजारों जानें तड़प-तड़प कर यूं न गई होतीं। हर बार की भांति अपनी नाकामी को छुपाने का यही तेरा चाल है। क्या बुद्धिजीवियों का यही काम है?
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