अब आम आदमी को भी मिल सकेगी प्रधान न्यायाधीश कार्यालय की सूचना, RTI के दायरे में आएगा CJI आफिस, सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से सुनाया फैसला 

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपराह्न दो बजे फैसला सुनाया। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना हैं।

अब आम आदमी को भी मिल सकेगी  प्रधान न्यायाधीश कार्यालय की सूचना, RTI के दायरे में आएगा CJI आफिस, सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से सुनाया फैसला 
GFX of Supreme Court of India
अब आम आदमी को भी मिल सकेगी  प्रधान न्यायाधीश कार्यालय की सूचना, RTI के दायरे में आएगा CJI आफिस, सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से सुनाया फैसला 
अब आम आदमी को भी मिल सकेगी  प्रधान न्यायाधीश कार्यालय की सूचना, RTI के दायरे में आएगा CJI आफिस, सुप्रीम कोर्ट ने 3-2 के बहुमत से सुनाया फैसला 

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय भी सूचना के अधिकार कानून के दायरे में आएगा। मुख्य न्यायाधीश कार्यालय को सूचना के अधिकार कानून में लाने संबंधी दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर उच्चतम न्यायालय ने 3-2 के बहुमत से फैसला सुनाया। सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार ऑफिस ऑफ सीजेआई आरटीआई के दायरे में आएगा।  

सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने गुरुवार को अपराह्न दो बजे फैसला सुनाया। पीठ के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने उच्च न्यायालय और केंद्रीय सूचना आयोग के आदेशों के खिलाफ 2010 में शीर्ष अदालत के महासचिव और केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी द्वारा दायर अपीलों पर गत चार अप्रैल को निर्णय सुरक्षित रख लिया था।

न्यायालय ने दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि 'ट्रांसपेरेंसी ज्यूडिशियल इंडिपेंडेंसी' को कमतर नहीं आंकती है। उच्च न्यायालय के फैसले में कहा गया था कि मुख्य न्यायाधीश का पद सूचना के अधिकार के दायरे में आता है।

मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने पहले यह कहा था कि पारदर्शिता के नाम पर एक संस्था को नुकसान नहीं पहुंचाया जाना चाहिए। नवंबर 2007 में आरटीआई कार्यकर्ता सुभाष चंद्र अग्रवाल ने आरटीआई याचिका दाखिल कर सुप्रीम कोर्ट से जजों की संपत्ति के बारे में जानकारी मांगी थी जो उन्हें देने से इनकार कर दिया गया।