प्राणघातक कोरोना वायरस को हराएगी पतंजलि की 'दिव्य कोरोनील टैबलेट', योग गुरु बाबा रामदेव आज कर रहे हैं लॉन्च, जानिए, क्या है दवा में शामिल और कैसे करती है काम?
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार दवा के मुख्य घटक अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल हैं। इनका मिश्रण और अनुपात शोध के अनुसार तय किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि यह दवा अपने प्रयोग, इलाज और प्रभाव के आधार पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रामाणिक है। अमेरिका के बायोमेडिसिन फार्माकोथेरेपी इंटरनेशनल जर्नल में इस शोध का प्रकाशन भी हो चुका है।
हरिद्वार स्थित पतंजलि आयुर्वेद की औषधि 'दिव्य कोरोनील टैबलेट' का कोविड-19 मरीजों पर क्लीनिकल ट्रायल के परिणामों की घोषणा आज दोपहर 12 बजे पतंजलि योगपीठ फेज-टू में योग गुरु बाबा रामदेव और आचार्य बालकृष्ण करेंगे। पतंजलि योगपीठ की ओर से बताया गया है कि कोरोना टैबलेट पर हुआ यह शोध पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट हरिद्वार और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस जयपुर के संयुक्त प्रयासों का परिणाम है। टैबलेट का निर्माण दिव्य फार्मेसी और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड हरिद्वार में किया जा रहा है। इस दौरान वैज्ञानिकों की टीम, शोधकर्ता और चिकित्सक भी मौजूद रहेंगे।
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री एवं पतंजलि आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के कुलपति आचार्य बालकृष्ण ने 13 जून तो यह दावा किया था कि पतंजलि अनुसंधान संस्थान में पांच माह तक चले शोध और चूहों पर कई दौर के सफल परीक्षण के बाद कोविड-19 की आयुर्वेदिक दवा तैयार करने में सफलता मिली है। इसके लिए जरूरी क्लीनिकल केस स्टडी पूरी हो चुकी है, जबकि क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल अपने अंतिम दौर में है। इसका डेटा उपलब्ध होते ही फाइनल एनालिसिस कर दवा बाजार में उतार दी जाएगी।
क्या-क्या है दवा में शामिल?
आचार्य बालकृष्ण के अनुसार दवा के मुख्य घटक अश्वगंधा, गिलोय, तुलसी, श्वसारि रस और अणु तेल हैं। इनका मिश्रण और अनुपात शोध के अनुसार तय किया गया है। उन्होंने यह भी दावा किया था कि यह दवा अपने प्रयोग, इलाज और प्रभाव के आधार पर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सभी प्रमुख संस्थानों, जर्नल आदि से प्रामाणिक है। अमेरिका के बायोमेडिसिन फार्माकोथेरेपी इंटरनेशनल जर्नल में इस शोध का प्रकाशन भी हो चुका है।
कैसे काम करती है यह दवा?
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि अश्वगंधा कोविड-19 के आरबीडी को मानव शरीर के एसीई से मिलने नहीं देता। इससे कोविड-19 वायरस संक्रमित मानव शरीर की स्वस्थ कोशिकाओं में प्रवेश नहीं कर पाता। गिलोय भी अश्वगंधा की तरह काम करता है। यह संक्रमण होने से रोकता है। तुलसी का कंपाउंड कोविड-19 के आरएनए-पॉलीमरीज पर अटैक कर उसके गुणांक में वृद्धि करने की दर को न सिर्फ रोक देता है, बल्कि इसका लगातार सेवन उसे खत्म भी कर देता है। श्वसारि रस गाढ़े बलगम को बनने से रोकता है और बने हुए बलगम को खत्म कर फेफड़ों की सूजन कम कर देता है। इसी तरह अणु तेल का इस्तेमाल नेजल ड्राप के तौर पर कर सकते हैं।
शोध में 300 शोधार्थी हुए शामिल
आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि कोविड-19 की दवा 'दिव्य कोरोनील टैबलेट' की खोज दिसंबर 2019 में चीन में इसके संक्रमण के लगातार बढ़ने की खबरों के बाद शुरू की गई। पहले इसकी केस स्टडी की गई और जनवरी 2020 से इस वायरस के व्यवहार और प्रभाव आदि को लेकर इसकी दवा की खोज के लिए शोध आरंभ कर दिया गया। इस कार्य में पतंजलि योगपीठ अनुसंधान केंद्र के लगभग 300 शोधार्थियों ने हिस्सा लिया। बताया कि दवा को 'क्लीनिकल ट्रायल रजिस्ट्री ऑफ इंडिया' की अनुमति मिली हुई है। मंगलवार से यह बाजार में उपलब्ध हो जाएगी। इसके साथ श्वसारि वटी टेबलेट भी होगी।
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