कोरोना में अनाथ हुए बच्चों को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अवैध रूप से गोद लेने वालों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों (यूटी) को गैर सरकारी संगठनों (NGO) और उन व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है जो कोविड-19 महामारी के दौरान अनाथ बच्चों को अवैध रूप से गोद लेने में संलिप्त हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा 5 जून तक के आंकड़ों के अनुसार, 30,071 बच्चे अनाथ हो गए। इनमें से ज्यादातर के माता-पिता कोरोना महामारी के दौरान खुद की जान गंवा बैठे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अनाथ हो गए या माता या पिता को खो देने वाले बच्चों की देखभार और सुरक्षा के लिए कई निर्देश भी दिया है। कोर्ट ने कहा कि अनाथों को गोद लेना का निमंत्रण कानून के विपरित है क्योंकि सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी की भागीदारी के बिना किसी को भी गोद लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
जस्टिस एलएन राव और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने कहा कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 के प्रावधानों और केंद्र, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की मौजूदा योजनाओं का व्यापक प्रचार किया जाना चाहिए, जिससे प्रभावित बच्चों को लाभ होगा।
कोर्ट ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को निर्देश दिया है कि वे उन बच्चों की पहचान जारी रखें जो पिछले साल मार्च के बाद या तो कोविड-19 के कारण अनाथ हो गए हैं या अपने माता-पिता को खो दिया है और उनका बिना किसी देरी के NCPCR की वेबसाइट पर डेटा अपडेट करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) यह सुनिश्चित करेगी कि सभी वित्तीय लाभ जिसके लिए बच्चा हकदार है। उन्हें बिना किसी देरी के प्रदान किया जाए और जो व्यक्ति अवैध रूप से बच्चों को गोद लेने में शामिल हैं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए।
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