हाईकोर्ट के आदेश से तोड़े गए सरकारी जमीन पर बसे गरीबों के घर, खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हुआ परिवार

हाईकोर्ट के आदेश से तोड़े गए सरकारी जमीन पर बसे गरीबों के घर, खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हुआ परिवार

बिहार - मधुबनी जिले के खुटौना प्रखंड में पटना उच्च न्यायालय आदेश पर सीओ खुटौना व फुलपरास सीओ मनोज कुमार ने गोट खुटौना गांव के शंकरपुर टोल में सरकारी जमीन पर वर्षो से बसे गरीबों के घर को जेसीबी से तोड़ कर हटा दिया है। अधिकारियों के मुताबिक यह कार्रवाई पटना उच्च न्यायालय में सीडब्ल्यूजेसी 200700013/18 में छह जनवरी 2020 को पारित आदेश के अनुपालन में किया गया है। अधिकारियों के मुताबिक याचिकाकर्ता जे पी भारती ने कोर्ट में अतिक्रमण मुक्त कराने की याचिका दायर की थी, जिसमे कोर्ट ने फैसला सुनाया था। 

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अधिकारियों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक इस आदेश का अनुपालन नहीं होने पर एमजेसी के अंतर्गत अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर जवाब देने को कहा गया था। इधर बेघर हुए लोगों का कहना है कि हाई कोर्ट में उनके खिलाफ दायर किसी मुकदमे की जानकारी उन्हें नहीं थी। वे करीब 50 वर्षो से सरकारी जमीन पर बसे हुए थे। उन्हंे जब उच्च न्यायालय में गोट खुटौना के जयप्रकाश भारती द्वारा उनके खिलाफ अतिक्रमण का मामला दर्ज कराए जाने की जानकारी मिली, उस वक्त देश में कोरोना फैला हुआ था। वे लोग पटना गए भी किंतु हाई कोर्ट बंद था। घर से बेघर हुए मनोज मुखिया, चैतु मुखिया तथा धुभिया देवी ने प्रशासन द्वारा घर तोड़े जाने पर  बताया कि उनके पास घर बना कर रहने के लिए एक इंच जमीन नही है और वे प्रशासन की इस करवाई के बाद खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर है। पीड़ित मनोज मुखिया ने बताया कि पुलिस ने घर में बैठी महिलाओं और छोटे छोटे बच्चे को घसीट कर बाहर निकाला। माकपा नेता उमेश घोष ने इसे मानवाधिकार का उलंघन्न बताते हुए मानवाधिकार आयोग से इस घटना का संज्ञान लेने की अपिल की है। अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई में खुटौना, लौकहा तथा ललमनियां पुलिस दलबल के साथ पहुंची थी।