CAA-रामनवमी हिंसा में शामिल रहा है कट्टरपंथी इस्लामी संगठन, PFI पर बैन लगाने की तैयारी में मोदी सरकार

केंद्र सरकार जल्द ही संदिग्ध गतिविधियों में शामिल रहने वाले विवादास्पद संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर जल्द ही प्रतिबंध लगा सकती है। पिछले सप्ताह रामनवमी के दौरान भारत के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा और सांप्रदायिक तनाव में PFI की भूमिका सामने आई है। बताया जा रहा है कि प्रतिबंध की तैयारी पूरी कर ली गई है और अगले सप्ताह तक एक नोटिफिकेशन जारी कर इसकी घोषणा की जा सकती है।

CAA-रामनवमी हिंसा में शामिल रहा है कट्टरपंथी इस्लामी संगठन, PFI पर बैन लगाने की तैयारी में मोदी सरकार

केंद्र सरकार जल्द ही संदिग्ध गतिविधियों में शामिल रहने वाले विवादास्पद संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) पर जल्द ही प्रतिबंध लगा सकती है। पिछले सप्ताह रामनवमी के दौरान भारत के कुछ हिस्सों में हुई हिंसा और सांप्रदायिक तनाव में PFI की भूमिका सामने आई है। बताया जा रहा है कि प्रतिबंध की तैयारी पूरी कर ली गई है और अगले सप्ताह तक एक नोटिफिकेशन जारी कर इसकी घोषणा की जा सकती है।

पीएफआई पहले से ही कई राज्यों में गैर-कानूनी घोषित है, मगर सरकार अब इसे एक केंद्रीकृत नोटिफिकेशन के जरिए प्रतिबंधित करना चाहती है। पीएफआई की स्थापना 2006 में की गई थी, तभी से यह विभिन्न असामाजिक और राष्ट्र-विरोधी कार्यों में संलिप्तता को लेकर जाँच के दायरे में आता रहा है।

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गृह मंत्रालय के पास इस संगठन को प्रतिबंधित करने के लिए पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अप्रैल 2021 में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि केंद्र पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की प्रक्रिया में लगा हुआ है।

प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA), दोनों ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने की सिफारिश करते हुए खुफिया रिपोर्ट दी हैं। NIA डोजियर के अनुसार, पीएफआई स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (SIMI) का ही बदला रूप है। SIMI को संयुक्त राज्य अमेरिका में 9/11 के आतंकी हमलों के बाद 2001 में प्रतिबंधित कर दिया गया था। एनआईए ने बताया किया कि दोनों संगठनों के बोर्ड में एक ही लोग शामिल रहे हैं। ED की जाँच के अनुसार, इस संगठन ने CAA-NRC विरोधी प्रदर्शनों के लिए धन जुटाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

साल 2020 में पीएफआई की राजनीतिक शाखा सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) के छह सदस्यों को आरएसएस (RSS) कार्यकर्ता वरुण भूपालम की हत्या के प्रयास के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने एक प्रसिद्ध दक्षिणपंथी विचारक चक्रवर्ती सुलीबेले और बेंगलुरु दक्षिण के सांसद तेजस्वी सूर्या की हत्या करने की भी योजना बनाई थी। ढेर सारे ऐसे सबूत हैं, जो 2020 में दिल्ली में हुए हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों में पीएफआई की स्पष्ट भूमिका की ओर इशारा करते हैं।

इसके अलावा, 14 अप्रैल को जब गोवा, गुजरात, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल में रामनवमी की शोभा यात्रा के दौरान हिंसा भड़की तो मध्य प्रदेश के बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने दावा किया कि खरगोन में दंगे और पथराव के लिए पीएफआई जिम्मेदार है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) द्वारा गृह मंत्रालय को एक संपूर्ण डोजियर सौंपे जाने के बाद 2017 में PFI पर प्रतिबंध लगाने की माँग को नया बल मिला। इसमें एजेंसी ने इस इस्लामिक समूह के आतंकवाद से संबंध को सूचीबद्ध किया गया था। जाँच एजेंसी ने पीएफआई और उसकी राजनीतिक शाखा SDPI को बेंगलुरू विस्फोट, केरल के प्रोफेसर का हाथ काटने और केरल में लव जिहाद सहित अन्य मामलों में संदिग्ध माना है।