देश-विदेश के सैलानी अब कर सकेंगे सियाचिन की सैर,केंद्र सरकार ने सियाचिन क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोला

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘लद्दाख के सांसद ने अपने संबोधन में इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए खोलने का उल्लेख किया था और मुझे यह बात साझा करने में खुशी हो रही है कि सरकार ने सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक एक मार्ग (पर्यटन के लिए) खोलने का फैसला किया है.''

देश-विदेश के सैलानी अब कर सकेंगे सियाचिन की सैर,केंद्र सरकार ने सियाचिन क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोला
Pic of Defence Minister In Siachen
देश-विदेश के सैलानी अब कर सकेंगे सियाचिन की सैर,केंद्र सरकार ने सियाचिन क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोला
देश-विदेश के सैलानी अब कर सकेंगे सियाचिन की सैर,केंद्र सरकार ने सियाचिन क्षेत्र पर्यटकों के लिए खोला

देश-विदेश के आम लोग भी अब सियाचिन की सैर कर सकेंगे। देशी-विदेशी पर्यटक सियाचिन जा सकेंगे। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने सियाचिन क्षेत्र को अब पर्यटकों के लिए खोल दिया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार ने सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक समूचे क्षेत्र को पर्यटन उद्देश्यों के लिए खोलने का निर्णय किया है।

रक्षा मंत्री ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है. ताकि लोग देख सकें कि सेना के जवान और इंजीनियर अत्यंत प्रतिकूल मौसम और विषम परिस्थितियों में किस तरह से काम करते हैं। राजनाथ सिंह चीन से लगती भारत की सीमा से लगभग 45 किलोमीटर दूर श्योक नदी पर कर्नल चेवांग रिनचिन पुल के उद्घाटन अवसर पर पूर्वी लद्दाख में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कही।

रक्षा मंत्री ने कहा, ‘‘लद्दाख के सांसद ने अपने संबोधन में इस क्षेत्र को पर्यटन के लिए खोलने का उल्लेख किया था और मुझे यह बात साझा करने में खुशी हो रही है कि सरकार ने सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक एक मार्ग (पर्यटन के लिए) खोलने का फैसला किया है.''

रक्षा मंत्री ने कहा कि इस कदम से लोग सेना के जवानों, इंजीनियरों और अन्य कर्मियों द्वारा किए जा रहे कार्य का अहसास कर पाएंगे। राजनाथ सिंह ने कहा, ‘‘सियाचिन क्षेत्र अब पर्यटकों और पर्यटन के लिए खुल गया है। सियाचिन आधार शिविर से लेकर कुमार पोस्ट तक समूचा क्षेत्र पर्यटन उद्देश्यों के लिए खोल दिया गया है।''

आपको बताते चलें कि कारकोरम क्षेत्र में लगभग 20 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर विश्व में सबसे ऊंचा सैन्य क्षेत्र माना जाता है। यहां सैनिकों को शीतदंश यानी अधिक ठंड से शरीर के सुन्न हो जाने और तेज हवाओं का सामना करना पड़ता है। ग्लेशियर पर शीत ऋतु के दौरान हिमस्खलन और भूस्खलन की घटनाएं आम हैं और तापमान शून्य से 60 डिग्री सेल्सियस नीचे तक चला जाता है।