न पंडित-ना पूजा, न मंडप-न मंत्रोचारण,ओडिशा में एक जोड़ा संविधान की शपथ लेकर शादी के पवित्र बंधन में बंधा
बिप्लब के पिता मोहन राव ने कहा, 'मैं तर्कवादी हूं और पुरानी धार्मिक प्रथाओं में विश्वास नहीं करता। हमने इसे सरल रखा और एक अनोखे तरीके से शादी को सफल बनाया।' इस मौके पर दूल्हा विप्लब ने कहा, 'सभी को दहेज से बचना चाहिए। साधारण विवाह पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। क्योंकि वहां कोई पटाखे या तेज संगीत नहीं होता है। अपनी शादी में हमने बारातियों से परहेज किया। सभी को एक नेक काम के लिए रक्तदान करना चाहिए।'
भारतीय सनातन संस्कृति में शादी-विवाह अर्थ वह क्रिया, संस्कार, विधि या पद्धति है, जिससे पति-पत्नी के स्थायी संबंध का निर्माण होता है। प्राचीन और मध्यकाल के धर्मशास्त्री तथा वर्तमान युग के समाजशास्त्री समाज द्वारा स्वीकार की गई परिवार की स्थापना करनेवाली किसी भी पद्धति को विवाह मानते हैं। उस विधि को विवाह कहते हैं, जिससे कोई स्त्री किसी की पत्नी बनती है। लेकिन ओडिशा में एक युवा जोड़े के विवाह करने के नए अंदाज ने पूरे देश को राष्ट्रवाद का संदेश दिया है। इस जोड़े ने अलग तरीके से शादी कर एक राष्ट्रवाद अनोखा उदाहरण पेश किया है।
दरअसल, इस जोड़े की शादी ना किसी पुजारी ने करवाई और न ही उनकी शादी में वैदिक मंत्रों का जाप हुआ। कोई पूजन-अर्चन, हवन-अनुठान या फिर मंत्रोचारण भी नहीं हुआ। बिप्लब कुमार और अनीता ने संविधान को साक्षी मानकर और संविधान की शपथ लेकर एक-दूसरे को जीवनसाथी के रूप में स्वीकार किया। दोनों ने बेहद साधारण तरीके से शादी की।
बिप्लब और अनीता ने मेहमानों और रिश्तेदारों की उपस्थिति में शादी की। ये शादी ओडिशा के बहरामपुर में हुई। दोनों के अलावा शादी में आए मेहमानों ने स्वेच्छा से रक्तदान किया। शादी के दौरान युगल जोड़े मे न सिर्फ रक्तदान शिविर का आयोजन किया,बल्कि रक्तदान भी किया। शादी में आए मेहमानों ने कुल 36 यूनिट रक्त दान दिया। इक्कतीस वर्षीय बिप्लब एक फार्मास्युटिकल फर्म के लिए काम करते हैं और तेइस वर्षीय अनीता एक सहायक नर्स के रूप में काम करती हैं।
बिप्लब के पिता मोहन राव ने कहा, 'मैं तर्कवादी हूं और पुरानी धार्मिक प्रथाओं में विश्वास नहीं करता। हमने इसे सरल रखा और एक अनोखे तरीके से शादी को सफल बनाया।' इस मौके पर दूल्हा विप्लब ने कहा, 'सभी को दहेज से बचना चाहिए। साधारण विवाह पर्यावरण के अनुकूल होते हैं। क्योंकि वहां कोई पटाखे या तेज संगीत नहीं होता है। अपनी शादी में हमने बारातियों से परहेज किया। सभी को एक नेक काम के लिए रक्तदान करना चाहिए।'
अनीता ने भी इस बात पर खुशी जाहिर की कि वो अलग तरीके से अपने नए जीवन की शुरुआत कर रही हैं। अनीता ने कहा, 'मुझे खुशी है कि मैंने अपना नया जीवन रक्तदान शिविर के आयोजन के नेक कार्य के साथ शुरू किया। विधवाओं ने भी इसमें भाग लिया। इस तरह की शादियां दूसरों के लिए एक मिसाल बननी चाहिए।'
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