दिल्ली विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ आर्टस एंड कॉमर्स में मनाई गई जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती, वक्ताओं ने उनके व्यक्तिगत और राजनीतिक जीवन पर डाला प्रकाश
दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्टस एंड कॉमर्स में 24 जनवरी को पहली बार जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रोफेसर वीरेंद्र नारायण जी ने कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तिगत एवं राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने उनकी विचारधारा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें भी साझा की।
देशभर में 24 जनवरी को स्वतंत्रता सेनानी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई गई। सरकर और सामाजिक संगठनों री ओर से कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। प्रतिष्ठित दिल्ली विश्वविद्यालय के दिल्ली कॉलेज ऑफ आर्टस एंड कॉमर्स में भी पहली बार कर्पूरी ठाकुर की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर मुख्य वक्ता प्रोफेसर वीरेंद्र नारायण जी ने कर्पूरी ठाकुर के व्यक्तिगत एवं राजनीतिक जीवन पर प्रकाश डाला। उन्होंने उनकी विचारधारा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें भी साझा की।
प्रोफेसर वीरेंद्र नारायण जी ने कहा कि भारत के स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिज्ञ और बिहार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके कर्पूरी ठाकुर पिछड़ी जातियों के मसीहा थे। सामाजिक रूप से पिछड़ी जातियों के उत्थान के लिए किए गए उनके कार्यों के कारण ही उन्हें जननायक कहा जाता है। उन्होंने कहा कि कर्पूरी ठाकुर दूरदर्शी होने के साथ-साथ एक ओजस्वी वक्ता भी थे। वह देशवासियों को सदैव अपने अधिकारों को जानने के लिए प्रेरित करते रहे थे।
प्रोफेसर वीरेंद्र जी ने बताया कि कर्पूरी ठाकुर कहते थे कि “संसद के विशेषाधिकार कायम रहे, अक्षुण्ण रहे, परंतु जनता के अधिकार भी सुरक्षित रहे, नहीं तो जनता आज नहीं तो कल संसद के विशेषाधिकारों को चुनौती देगी।“ कर्पूरी ठाकुर का चिरपरचित नारा “अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो पग-पग पर अड़ना सीखो, जीना है तो मरना सीखो।“
जयंती कार्यक्रम में जय प्रकाश विश्वविद्यालय छपरा के प्रोफेसर एंड डीन डॉ. वीरेंद्र नारायण यादव के अलावा कॉलेज के शिक्षक, कर्मचारी और बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे। सभी ने जननायक की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। वक्ताओं वे कर्पूरी ठाकुर द्वारा देश और समाज के लिए किए गए कार्यों को याद किया और देश भर के लोगों से उनके बताए रास्ते पर चलने का आह्वान किया।
वास्तव में कर्पूरी ठाकुर वर्तमान में बिहार के पिछड़ी जाति के नेताओं लालू प्रसाद यादव, नीतीश कुमार, रामविलास पासवान और सुशील कुमार मोदी के राजनीतिक गुरु थे। सादगी के पर्याय कर्पूरी ठाकुर लोकराज की स्थापना के हिमायती थे। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन इसमें लगा दिया।
कर्पूरी ठाकुर का 17 फरवरी 1988 को अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण देहांत हो गया। आज उन्हें एक जातिविशेष के दायरे में सीमित कर दिया जाता है, जबकि उनके दायरे में वह पूरा समाज आता था जिसकी तीमारदारी को उन्होंने अपना मिशन बना लिया था।
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