Corona Update : केंद्र सरकार ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के निर्यात से हटाई पाबंदी,विश्व के सभी जरूरतमंद देशों को हो सकेगी आपूर्ति,राहुल गांधी ने दी नसीहत
केंद्र सरकार ने कोरोना के इलाज में उपयोगी मानी जा रही एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने इस दवा के निर्यात से आंशिक तौर पर पाबंदी हटा दी है। घरेलू जरूरतों का हिसाब लगाने के बाद विश्व के सभी जरूरतमंज देशों को इस दवा की आपूर्ति की जाएगी।
केंद्र सरकार ने कोरोना के इलाज में उपयोगी मानी जा रही एंटी मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन को लेकर बड़ा फैसला किया है। सरकार ने इस दवा के निर्यात से आंशिक तौर पर पाबंदी हटा दी है। घरेलू जरूरतों का हिसाब लगाने के बाद विश्व के सभी जरूरतमंज देशों को इस दवा की आपूर्ति की जाएगी। हालांकि,फिलहाल यह तय नहीं हो पाया है कि किस देश को कितनी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन आपूर्ति की जाएगी।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, "भारत का रुख हमेशा से यह रहा है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को एकजुटता और सहयोग दिखाना चाहिए। इसी नजरिए से हमने अन्य देशों के नागरिकों को उनके देश पहुंचाया है।'' उन्होंने कहा, ''वैश्विक महामारी के मानवीय पहलुओं को देखते हुए यह तय किया गया है कि भारत अपने उन सभी पड़ोसी देशों को पेरासिटामोल और एचसीक्यू (हाइड्रोक्लोरोक्वीन) को उचित मात्रा में उपलब्ध कराएगा जिनकी निर्भरता भारत पर है।''
केंद्र सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सवाल खड़े किए हैं। राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में भारत को दूसरे देशों की मदद करनी चाहिए, लेकिन जीवनरक्षक दवाएं पहले भारतीयों को मिलनी चाहिए। राहुल ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस बयान को भारत का अपमान बताया है,जिसमें उन्होंने कहा कि भारत यदि दवा नहीं देगा तो अमेरिका बदला लेगा।
राहुल गांधी ने ट्वीट किया, 'मित्रों में प्रतिशोध की भावना? जरूरत की इस घड़ी में भारत को दूसरे देशों की मदद जरूर करनी चाहिए,लेकिन जीवनरक्षक दवाएं पहले भारतीयों को पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध कराया जाए।' दरअसल, अमेरिका लगातार भारत से इस दवा की मांग कर रहा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति की मांग की थी।
डोनाल्ड ट्रंप ने आगाह भी किया था कि उनके व्यक्तिगत अनुरोध के बावजूद अगर भारत हाइड्रोक्सीलक्लोरोक्वीन का निर्यात नहीं करता है,तो अमेरिका जवाबी कार्रवाई कर सकता है। उन्होंने कहा कि उन्हें हैरानी होगी अगर भारत नहीं मानता है क्योंकि अमेरिका से उसके अच्छे संबंध हैं।
ज्ञात हो कि भारत में कोविड-19 मरीज का इलाज करने वाले मेडिकल और स्वास्थ्यकर्मी द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के उपयोग की अनुमति है। भारत से इस दवा की मांग करने वालों में अमेरिका, ब्राजील, रूस, इजरायल, जर्मनी, फ्रांस, स्पेन,अबू धाबी समेत कई अन्य देश शामिल हैं।
आपको बताते चलें कि एंटी मलेरियल हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए ट्रायल फेज में है और इसे अब तक कारगर माना जा रहा है। भारत हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक है,जिसका उपयोग मलेरिया के के लिए किया जाता है। हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन मलेरिया की दशकों पुरानी दवा है। विदेश व्यापार महानिदेशालय यानी डीजीएफटी ने 25 मार्च को इस दवा के निर्यात पर रोक लगा दी थी।
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